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    प्रबंधन

    केन्द्रीय विद्यालय संगठन सोसायटी पंजीकरण अधिनियम (1860 का XXI) के तहत एक सोसायटी के रूप में पंजीकृत है। संगठन का प्राथमिक उद्देश्य पूरे भारत और विदेशों में केंद्रीय विद्यालयों को स्थापित करना, समर्थन देना, नियंत्रण बनाए रखना और प्रबंधन करना है। संगठन के पास तीन स्तरीय प्रबंधन संरचना है जिसमें इसके (I) मुख्यालय (II) क्षेत्रीय कार्यालय जो लगभग 45-50 स्कूलों का प्रबंधन करते हैं और (III) केंद्रीय विद्यालय पूरे देश और विदेश में फैले हुए हैं और प्रत्येक के पास अपनी विद्यालय प्रबंधन समितियाँ हैं।

    संगठन की सामान्य सभा

    सामान्य सभा के. वि. सं. की सर्वोच्च संस्था है। भारत सरकार के शिक्षा मंत्री इस संस्था क अध्यक्ष होते है। शिक्षा मंत्रालय के राज्य-मंत्री इसके उपाध्यक्ष और भारत सरकार द्वारा नामित शिक्षा मंत्रालय के एक उच्चाधिकारी उप-सभापति होते है। अन्य सदस्यों को भारत सरकार द्वारा वित्त, रक्षा, कार्य और आवास, स्वास्थ्य मंत्रालय और कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग के वरिष्ठ अधिकारीयों के साथ-साथ केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एक प्रशिक्षण परिषद् और राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों सहित प्रतिष्ठित शिक्षाविदों के अलावा संसद सदस्य, महिला प्रतिनिधि और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जन-जाति के सदस्य को नियुक्त किया जाता है।

    स्थायी समिति

    वित्त समिति, कार्य समिति और अकादमिक सलाहकार समिति संगठन के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स की स्थायी समितियाँ हैं। इन समितियों के कार्य और शक्तियाँ संक्षेप में इस प्रकार हैं:

    शैक्षणिक सलाहकार समिति

    केंद्रीय विद्यालयों के शैक्षणिक और सह-पाठ्‌यचर्चा कार्यक्रमों के कार्यान्वन के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने में सहायता करना, केंद्रीय विद्यालयों को संगठन के उद्देश्यों को साकार करने में मदद करना अर्थात् शिक्षा के राष्ट्रीय लक्ष्यों के सन्दर्भ में विद्यालयों को ‘उत्कृष्ट विद्यालय’ के रूप में विकसित करना, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना, कार्यक्रमों की समीक्षा करना, सुधार का सुझाव देना और प्रकाशित करना।

    वित्त समिति

    संगठन के खातों और बजट अनुमानों की जांच करना-प्रमुख कार्यों के कारण नए व्यय के लिए बोर्ड पर विचार करना और सिफारिशें करना-पुनर्विनियोजन विवरण और लेखापरीक्षा नोट्स की जांच करना और समवर्ती लेखापरीक्षा आयोजित करने के अलावा संगठन के वित्त की समीक्षा करना।

    कार्य समिति

    संगठन की कार्य नीति की अनुशंसा करना-कार्य कार्यक्रम पर विचार करना और अनुमोदन करना-प्रशासनिक अनुमोदन और व्यय स्वीकृति जारी करने के लिए मानदंड निर्धारित करना-कार्य कार्यक्रम से संबंधित नीतिगत मामलों पर बोर्ड को सलाह देने के लिए निर्माण कार्य की प्रगति की समीक्षा करना।